यह ज़िन्दगी इक सफ़र है, बस, मंज़िल भी हो, यह ज़रूरी तो नहीं।। यह ज़िन्दगी इक सफ़र है, बस, मंज़िल भी हो, यह ज़रूरी तो नहीं।।
इस दरख़्त कभी उस दरख़्त उछलें, कूदें फिर गिर जायें मन को आओ गिलहरी कर लें || इस दरख़्त कभी उस दरख़्त उछलें, कूदें फिर गिर जायें मन को आओ गिलहरी कर लें ||
कबीरा खड़ा बाज़ार में माँगे सबकी खैर...। कबीरा खड़ा बाज़ार में माँगे सबकी खैर...।
वो जिनकी आँँखों में मायूसी के लिए कोई जगह ही नहीं अपनी पलकों में सिर्फ़ जुनून लिये वो लोग जहाँँ म... वो जिनकी आँँखों में मायूसी के लिए कोई जगह ही नहीं अपनी पलकों में सिर्फ़ जुनून ...
जब शांत हो जाता है मन हल्का सा मुस्काते हैं और बतियाते हैं एक कप कॉफी लेकर बतियाती है उनके साथ ... जब शांत हो जाता है मन हल्का सा मुस्काते हैं और बतियाते हैं एक कप कॉफी लेकर ब...
आज भी तंग हैं बहुत, बहुत गम भी हैं जिस महफ़िल में हर शख्स अकेला होता है, जश्न मनाने उस महफ़िल में ... आज भी तंग हैं बहुत, बहुत गम भी हैं जिस महफ़िल में हर शख्स अकेला होता है, जश्न ...